बाबा की खिड़की से
हवा चली आती है दरख्तों के चुंबन ले
रात-बिरात पहचान में आती हैं ध्वनियाँ
मिल जाती है आहट आनेवाले तूफान की
अंधेरे- उजाले का साथी शुक्रतारा दिखाई देता है यहाँ से
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