न्यायाधीश,
न्याय की भव्य-दिव्य कुर्सी पर बैठकर
तुम करते हो फैसला संसार के छल-छद्म का
दमकता है चेहरा तुम्हारा सत्य की आभा से।
देते हो व्यवस्था इस धर्मनिरपेक्ष देश में...
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